ग़म के पीछे मारे मारे फिरना क्या By Sher << मुझ को रोते देख कर पास आए... न चारागर की ज़रूरत न कुछ ... >> ग़म के पीछे मारे मारे फिरना क्या ये दौलत तो घर बैठे आ जाती है Share on: