न चारागर की ज़रूरत न कुछ दवा की है By दुआ, Sher << ग़म के पीछे मारे मारे फिर... ज़माने के दरबार में दस्त-... >> न चारागर की ज़रूरत न कुछ दवा की है दुआ को हाथ उठाओ कि ग़म की रात कटे Share on: