ग़म-ए-दिल का असर हर बज़्म में है By Sher << गुल खिलाए न कहीं फ़ित्ना-... फ़ित्नों की अर्ज़ानी से अ... >> ग़म-ए-दिल का असर हर बज़्म में है सब अफ़्साने उस अफ़्साने से निकले Share on: