ग़म-ए-जानाँ ग़म-ए-दौराँ की तरफ़ यूँ आया By Sher << हर एक बात ज़बाँ से कही नह... किसी ने राह का पत्थर हमीं... >> ग़म-ए-जानाँ ग़म-ए-दौराँ की तरफ़ यूँ आया जानिब शहर चले दुख़्तर-ए-दहक़ाँ जैसे Share on: