किसी ने राह का पत्थर हमीं को ठहराया By Sher << ग़म-ए-जानाँ ग़म-ए-दौराँ क... आज बरसों में तो क़िस्मत स... >> किसी ने राह का पत्थर हमीं को ठहराया ये और बात कि फिर आईना हमीं ठहरे Share on: