गर्दिश-ए-चर्ख़ नहीं कम भी हंडोले से कि महर By Sher << नहीं दैर ओ हरम से काम हम ... मुस्कुरा कर देख लेते हो म... >> गर्दिश-ए-चर्ख़ नहीं कम भी हंडोले से कि महर शाम को माह से ऊँचा है सहर है नीचा Share on: