ग़रज़ किसी से न ऐ दोस्तो कभू रखियो By Sher << फिर एक बार गुनाहों से हम ... किसी से शिकवा-ए-महरूमी-ए-... >> ग़रज़ किसी से न ऐ दोस्तो कभू रखियो बस अपने हाथ यहाँ अपनी अबरू रखियो Share on: