ग़ुनूदा राहों को तक तक के सोगवार न हो By Sher << दिल है शौक़-ए-वस्ल में मु... पेड़ के नीचे ज़रा सी छाँव... >> ग़ुनूदा राहों को तक तक के सोगवार न हो तिरे क़दम ही मुसाफ़िर इन्हें जगाएँगे Share on: