ग़ुरूर-ए-हुस्न न कर जज़्बा-ए-ज़ुलेख़ा देख By Sher << क़हर है थोड़ी सी भी ग़फ़ल... रहे तज़्किरे अम्न के आश्त... >> ग़ुरूर-ए-हुस्न न कर जज़्बा-ए-ज़ुलेख़ा देख किया है इश्क़ ने यूसुफ़ ग़ुलाम आशिक़ का Share on: