रहे तज़्किरे अम्न के आश्ती के By Sher << ग़ुरूर-ए-हुस्न न कर जज़्ब... दिल से शौक़-ए-रुख़-ए-निकू... >> रहे तज़्किरे अम्न के आश्ती के मगर बस्तियों पर बरसते रहे बम Share on: