घर की वीरानी को क्या रोऊँ कि ये पहले सी By Sher << इस माअ'रके में इश्क़ ... बहुत शोर था जब समाअ'त... >> घर की वीरानी को क्या रोऊँ कि ये पहले सी तंग इतना है कि गुंजाइश-ए-ता'मीर नहीं Share on: