घर को छोड़ा है ख़ुदा जाने कहाँ जाने को By Sher << ग़ुस्सा क़ातिल का न बढ़ता... ग़म में कुछ ग़म का मशग़ला... >> घर को छोड़ा है ख़ुदा जाने कहाँ जाने को अब समझ लीजिए टूटा हुआ तारा मुझ को Share on: