कोई सबब तो था कि 'ग़ौस' फ़हम-ओ-ज़का के बावजूद By Sher << आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है अजब तरह का अधूरापन है मिर... >> कोई सबब तो था कि 'ग़ौस' फ़हम-ओ-ज़का के बावजूद कार-ए-सवाब छोड़ कर कार-ए-गुनाह में रहे Share on: