नशात-ए-इज़हार पर अगरचे रवा नहीं ए'तिबार करना By Sher << फ़ासला नज़रों का धोका भी ... कितना बेकार तमन्ना का सफ़... >> नशात-ए-इज़हार पर अगरचे रवा नहीं ए'तिबार करना मगर ये सच है कि आदमी का सुराग़ मिलता है गुफ़्तुगू से Share on: