गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में हम By Sher << दस बीस हर महीने में अबरू ... रुका हूँ किस के वहम में म... >> गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में हम हर क़लमकार की बे-नाम ख़बर के हम हैं Share on: