गुज़रते वक़्त ने क्या क्या न चारा-साज़ी की By वक़्त, दर्द, Sher << हमें ख़बर है कोई हम-सफ़र ... धूप की गरमी से ईंटें पक ग... >> गुज़रते वक़्त ने क्या क्या न चारा-साज़ी की वगरना ज़ख़्म जो उस ने दिया था कारी था Share on: