गुल ही इस बाग़ से जाने पे नहीं बैठा कुछ By Sher << कोई क्या जाने कि है रोज़-... मुद्दत से ख़्वाब में भी न... >> गुल ही इस बाग़ से जाने पे नहीं बैठा कुछ गठरी ग़ुंचे ने भी अज़-बहर-ए-सफ़र बाँधी है Share on: