गुमाँ न क्यूँकि करूँ तुझ पे दिल चुराने का By Sher << कभी ख़ौफ़ था तिरे हिज्र क... एक दर्द-ए-हस्ती ने उम्र भ... >> गुमाँ न क्यूँकि करूँ तुझ पे दिल चुराने का झुका के आँख सबब क्या है मुस्कुराने का Share on: