गुमशुदगी ही अस्ल में यारो राह-नुमाई करती है By Sher << हिसार-ए-ज़ात के दीवार-ओ-द... एक सीता की रिफ़ाक़त है तो... >> गुमशुदगी ही अस्ल में यारो राह-नुमाई करती है राह दिखाने वाले पहले बरसों राह भटकते हैं Share on: