गुज़रे जिधर से नूर बिखेरे चले गए By Sher << बाज़ार-ए-आरज़ू में कटी जा... ऐसी दुनिया में कब तक गुज़... >> गुज़रे जिधर से नूर बिखेरे चले गए वो हम-सफ़र हुए तो अँधेरे चले गए Share on: