हाँ ज़माने की नहीं अपनी तो सुन सकता था By Sher << हर तरफ़ तू नज़र आता है जि... एक ताबीर की सूरत नज़र आई ... >> हाँ ज़माने की नहीं अपनी तो सुन सकता था काश ख़ुद को ही कभी बैठ के समझाता मैं Share on: