हाथ उठाता है दुआओं को फ़लक भी उस दम By Sher << ज़रा चश्म-ए-करम से देख लो... क्या क्या न तिरे शौक़ में... >> हाथ उठाता है दुआओं को फ़लक भी उस दम जब परिंदा कोई परवाज़ को पर तौलता है Share on: