हड्डियाँ मेरी अगर पाएँ तो कूड़े की तरह By Sher << मोहब्बत ने 'माइल'... तिरी ज़मीन पे करता रहा हू... >> हड्डियाँ मेरी अगर पाएँ तो कूड़े की तरह फेंक दें अहल-ए-ज़मीं चर्ख़-ए-कुहन से बाहर Share on: