हदीस-ए-दिल ब-ज़बान-ए-नज़र भी कह न सका By Sher << हम हसीन ग़ज़लों से पेट भर... जिस तरह हँस रहा हूँ मैं प... >> हदीस-ए-दिल ब-ज़बान-ए-नज़र भी कह न सका हुज़ूर-ए-हुस्न बढ़ी और बेबसी मेरी Share on: