हाए ये अपनी सादा-मिज़ाजी एटम के इस दौर में भी By Sher << हम ने पाई है उन अशआर पे भ... गुलाबों के होंटों पे लब र... >> हाए ये अपनी सादा-मिज़ाजी एटम के इस दौर में भी अगले वक़्तों की सी शराफ़त ढूँड रही है शहरों में Share on: