है ऐन-ए-वस्ल में भी मिरी चश्म सू-ए-दर By Sher << ज़िंदगी की बिसात पर '... कुछ बिखरी हुई यादों के क़... >> है ऐन-ए-वस्ल में भी मिरी चश्म सू-ए-दर लपका जो पड़ गया है मुझे इंतिज़ार का Share on: