ज़िंदगी की बिसात पर 'बाक़ी' By Sher << इस रेंगती हयात का कब तक उ... है ऐन-ए-वस्ल में भी मिरी ... >> ज़िंदगी की बिसात पर 'बाक़ी' मौत की एक चाल हैं हम लोग Share on: