है इंतिहा-ए-यास भी इक इब्तिदा-ए-शौक़ By Sher << है मश्क़-ए-सुख़न जारी चक्... गुज़रे बहुत उस्ताद मगर रं... >> है इंतिहा-ए-यास भी इक इब्तिदा-ए-शौक़ फिर आ गए वहीं पे चले थे जहाँ से हम Share on: