है ख़ाल यूँ तुम्हारे चाह-ए-ज़क़न के अंदर By Sher << मिरे फ़ुसूँ ने दिखाई है त... हम तो समझे थे कि चारों दर... >> है ख़ाल यूँ तुम्हारे चाह-ए-ज़क़न के अंदर जिस रूप हो कनहय्या आब-ए-जमन के अंदर Share on: