है मुसलमाँ को हमेशा आब-ए-ज़मज़म की तलाश By Sher << मआल-ए-ज़ब्त-ए-पैहम हो गई ... हम अपने इश्क़ की अब और क्... >> है मुसलमाँ को हमेशा आब-ए-ज़मज़म की तलाश और हर इक बरहमन गंग-ओ-जमन में मस्त है Share on: