है मुश्तमिल नुमूद-ए-सुवर पर वजूद-ए-बहर By Sher << नहीं दुनिया को जब पर्वा ह... शहर-वालों की मोहब्बत का म... >> है मुश्तमिल नुमूद-ए-सुवर पर वजूद-ए-बहर याँ क्या धरा है क़तरा ओ मौज-ओ-हबाब में Share on: