शहर-वालों की मोहब्बत का मैं क़ाएल हूँ मगर By Sher << है मुश्तमिल नुमूद-ए-सुवर ... मैं नहीं हूँ नग़्मा-ए-जाँ... >> शहर-वालों की मोहब्बत का मैं क़ाएल हूँ मगर मैं ने जिस हाथ को चूमा वही ख़ंजर निकला Share on: