है शादाब नफ़रत का जंगल बहुत ही By Sher << किस से करूँ मैं अपनी तबाह... जाने क्यूँ हम से न ये ख़ा... >> है शादाब नफ़रत का जंगल बहुत ही मोहब्बत का हर पेड़ सूखा पड़ा है Share on: