हैराँ हूँ इस क़दर कि शब-ए-वस्ल भी मुझे By Sher << लुटाते हैं वो दौलत हुस्न ... नमाज़ियों ने तुझ अबरू को ... >> हैराँ हूँ इस क़दर कि शब-ए-वस्ल भी मुझे तू सामने है और तिरा इंतिज़ार है Share on: