हज़ार राह चले फिर वो रहगुज़र आई By Sher << हज़ार तरह के सदमे उठाने व... हवा के दोश पे रक्खे हुए च... >> हज़ार राह चले फिर वो रहगुज़र आई कि इक सफ़र में रहे और हर सफ़र से गए Share on: