हवा के दोश पे रक्खे हुए चराग़ हैं हम By Sher << हज़ार राह चले फिर वो रहगु... हाए वो लोग गए चाँद से मिल... >> हवा के दोश पे रक्खे हुए चराग़ हैं हम जो बुझ गए तो हवा से शिकायतें कैसी Share on: