हज़ार शौक़ नुमायाँ थे जिस नज़र से कभी By Sher << हम हैं मज़दूर हमें कौन सह... न ख़ंजर उठेगा न तलवार इन ... >> हज़ार शौक़ नुमायाँ थे जिस नज़र से कभी वही निगाह बड़ी अजनबी सी लगती है Share on: