हम हैं मज़दूर हमें कौन सहारा देगा By Sher << बुत-परस्ती जिस से होवे हक... हज़ार शौक़ नुमायाँ थे जिस... >> हम हैं मज़दूर हमें कौन सहारा देगा हम तो मिट कर भी सहारा नहीं माँगा करते Share on: