हज़ारों मौसमों की हुक्मरानी है मिरे दिल पर By Sher << दामन के दाग़ अश्क-ए-नदामत... शाख़ से कट कर अलग होने का... >> हज़ारों मौसमों की हुक्मरानी है मिरे दिल पर 'वसी' मैं जब भी हँसता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं Share on: