शाख़ से कट कर अलग होने का हम को ग़म नहीं By Sher << हज़ारों मौसमों की हुक्मरा... भरे मकाँ का भी अपना नशा ह... >> शाख़ से कट कर अलग होने का हम को ग़म नहीं फूल हैं ख़ुशबू लुटा कर ख़ाक हो जाएँगे हम Share on: