हज़ारों साल की थी आग मुझ में By Sher << आग का क्या है पल दो पल मे... दीवार-ओ-दर पे ख़ून के छीं... >> हज़ारों साल की थी आग मुझ में रगड़ने तक मैं इक पत्थर रहा था Share on: