हालत के तग़य्युर पर हो मातम-ए-माज़ी क्यूँ By Sher << जानता हूँ कौन क्या है आप ... आदमी को चाहिए तौफ़ीक़ चलन... >> हालत के तग़य्युर पर हो मातम-ए-माज़ी क्यूँ इक वो भी ज़माना था इक ये भी ज़माना है Share on: