हल्का था नदामत से सरमाया इबादत का By Sher << ये कैसी बद-दुआ' दी है... वो नशा है के ज़बाँ अक़्ल ... >> हल्का था नदामत से सरमाया इबादत का इक क़तरे में बह निकले तस्बीह के सौ दाने Share on: