हम अंजुमन में सब की तरफ़ देखते रहे By तन्हाई, Sher << शग़्ल था दश्त-नवर्दी का क... अब उन दरीचों पे गहरे दबीज... >> हम अंजुमन में सब की तरफ़ देखते रहे अपनी तरह से कोई अकेला नहीं मिला Share on: