हम रिंद-ए-परेशाँ हैं माह-ए-रमज़ाँ है By Sher << रुख़ उन का कहीं और नज़र औ... समेटता रहा ख़ुद को मैं उम... >> हम रिंद-ए-परेशाँ हैं माह-ए-रमज़ाँ है चमकी हुई इन रोज़ों में वाइ'ज़ की दुकाँ है Share on: