हम ये तो नहीं कहते कि ग़म कह नहीं सकते By Sher << तमाम रंग अधूरे लगे तिरे आ... वो मिरी ख़ाक-नशीनी के मज़... >> हम ये तो नहीं कहते कि ग़म कह नहीं सकते पर जो सबब-ए-ग़म है वो हम कह नहीं सकते Share on: