तमाम रंग अधूरे लगे तिरे आगे By Sher << उस का होना भी भरी बज़्म म... हम ये तो नहीं कहते कि ग़म... >> तमाम रंग अधूरे लगे तिरे आगे सो तुझ को लफ़्ज़ में तस्वीर करता रहता हूँ Share on: