हमारे शहर में अब हर तरफ़ वहशत बरसती है By Sher << हमें अंजाम भी मालूम है ले... ग़म के रिश्तों को कभी तोड... >> हमारे शहर में अब हर तरफ़ वहशत बरसती है सो अब जंगल में अपना घर बनाना चाहते हैं हम Share on: