ग़म के रिश्तों को कभी तोड़ न देना 'वाली' By Sher << हमारे शहर में अब हर तरफ़ ... सिगरटें चाय धुआँ रात गए त... >> ग़म के रिश्तों को कभी तोड़ न देना 'वाली' ग़म ख़याल-ए-दिल-ए-ना-शाद बहुत करता है Share on: