हमारा कोह-ए-ग़म क्या संग-ए-ख़ारा है जो कट जाता By Sher << ख़ुशनुमा दाएरे बनते ही चल... क़ुर्बतें भी दूरियों का ब... >> हमारा कोह-ए-ग़म क्या संग-ए-ख़ारा है जो कट जाता अगर मर मर के ज़िंदा कोहकन होता तो क्या होता Share on: